भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए मुहीम छेड़ रखी है लेकिन हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसमें हैकर्स ने कई इलेक्ट्रिक स्कूटर्स को हैक कर न सिर्फ यूजर्स की बातें सुनी बल्कि जीपीएस सिस्टम में सेंधमारी कर उन्हें गलत रास्ते पर भी पहुंचा दिया। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास (सैन एंटोनियो) के शोधकर्ताओं ने बताया कि कई माइक्रोमोबिलिटी व्हीकल्स के मालिकों को इस अटैक और डेटा लीक का सामना करना पड़ा। शोधकर्ताओं में भारत समेत अन्य देशों के इलेक्ट्रिक व्हीकल यूजर्स को अलर्ट भी किया।
प्रोवाइडर्स ऑटोमैटिकली ट्रैक कर सकते है यूजर की लोकेशन
असिस्टेंट प्रोफेसर जड़लीवाला ने बताया कि हमने मौजूदा राइड शेयरिंग सर्विस, माइक्रोमोबिलिटी में कई कमजोर पहलुओं का पता लगाया जिनसे न सिर्फ राइडर्स की निजी डेटा को चुराया जा सकता है बल्कि राइड शेयरिंग सर्विस को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा सकता है। हैकर्स इन इलेक्ट्रिक व्हीकल के बिहेविअर और ऑपरेशन को रिमोटली कंट्रोल भी कर सकते हैं। इस माइक्रोमोबिलिटी ई-स्कूटर एनालिसिस को असिस्टेंट प्रोफेसर जड़लीवाला के साथ ग्रेजुएट और पीएचडी स्टूडेंट्स ने किया।
रिसर्च फर्म मार्केटस्टैंडमार्केट के रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल मार्केट में इलेक्ट्रिक बाइक का बाजार CAGR 9.01% से बढ़ रहा, जो 2020 तक 38.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। 2018 में यह 21.1 बिलियन डॉलर था।
यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंस डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट ने ई-स्कूटर के सिक्योरिटी और प्राइवेसी रिस्क समेत संबंधित सॉफ्टवेयर सर्विस और एप्लीकेशन का पहला रिव्यू पब्लिश किया। रिव्यू के मुताबिक, 2nd एसीएम वर्कशॉप ऑन ऑटोमोटिव और एरियल व्हीकल सिक्योरिटी के दौरान हैकर्स ने कई ई-व्हीकल को हैक कर बताया।
कुछ ई-स्कूटर्स राइडर के स्मार्टफोन पर ब्लूटूथ लो एनर्जी चैनल पर बातचीत करते हैं। हैकर्स बाजार में आसानी से सस्ते दाम पर उपलब्ध उबरटूथ और वायरशार्क जैसे हार्डवेयर के जरिए वायरलेस चैनल हैक कर स्कूटर और राइडर के स्मार्टफोन ऐप के बीच एक्सचेंज होने वाले डेटा को सुन सकते हैं।
जो लोग ई-स्कूटर का उपयोग करने के लिए साइन-अप करते हैं, वे न केवल बिलिंग संबंधित जानकारी बल्कि अपने पर्सनल और संवेदनशील डेटा का एक्सेस भी ऑफर करते हैं। स्टडी के मुताबिक, प्रोवाइडर्स ऑटोमैटिकली यूजर की लोकेशन समेत व्हीकल की जानकारी कलेक्ट कर सकते हैं। यह डेटा यूजर के व्यक्तिगत प्रोफाइल बनाने में इस्तेमाल की जा सकती है, जिसमें राइडर का पसंदीदा मार्ग और पर्सनल इंटरेस्ट, घर और ऑफिस की लोकेशन शामिल हो सकते हैं।
जड़लीवाला ने बताया कि शहरों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में माइक्रोमोबिलिटी लोगों को टिकाऊ, तेज और सस्ती ट्रांसपोर्ट सुविधा मुहैया कराता है। ऐसे में यह इंडस्ट्री कितनी विश्वसनीय है यह बताने के लिए कंपनियों को न सिर्फ राइडर और पैदल चलन वालो की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए बल्कि यह भी सुनिश्चित करने चाहिए कि इन व्हीकल को साइबर हमले और डेटा लीक से भी बचाया जा सके।